Punjab: पंजाब में पराली जलाने से प्रदूषण रोकने के लिए हर गांव में तैनात होंगे नोडल अधिकारी, मंडी बोर्ड करेगा नियंत्रण कक्ष स्थापित
Punjab: पंजाब सरकार द्वारा खऱीफ सीजन के दौरान पराली प्रबंधन के लिए एक व्यापक एक्शन प्लान तैयार किया गया है। इसके तहत कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने 500 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया है। इस एक्शन प्लान के तहत हर गांव में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी ताकि पराली जलाने की घटनाओं को रोका जा सके। ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग को गांवों में पराली प्रबंधन के कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
यदि किसी गांव में पराली जलाने का मामला सामने आता है, तो संबंधित गांव के पंचायत सदस्यों के खिलाफ विभाग द्वारा उचित कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, मंडी बोर्ड द्वारा एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाएगा। यह बोर्ड राज्यभर में योजना को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा और पूरे अभियान की निगरानी करेगा। साथ ही, यह बोर्ड पराली जलाने के मामलों पर भी नजर रखेगा।
सरकार के सामने चुनौती
इस बार सरकार के सामने चुनौती और भी बड़ी है। सरकार ने 2024 के धान कटाई के सीजन के दौरान पराली के सही प्रबंधन के लिए किसानों को मशीनरी उपलब्ध कराने के अलावा अन्य उपाय भी किए हैं। पराली प्रबंधन के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा 60-40 प्रतिशत के अनुपात में फंड जारी किया जाता है। इसी कारण जुलाई माह में केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को 150 करोड़ रुपये जारी किए गए थे।
पराली प्रबंधन के लिए 75,135 मशीनें करेंगी काम
योजना के अनुसार, पराली प्रबंधन के लिए राज्य में कुल 1.30 लाख मशीनें उपलब्ध हैं, जिनमें से 93,818 प्रमुख मशीनें हैं। हालांकि, इनमें से 75,135 मशीनें ही सही तरीके से काम कर रही हैं। सरकार का दावा है कि ये मशीनें इस साल के खऱीफ सीजन के दौरान पराली प्रबंधन के लिए पर्याप्त हैं। इनमें से कुछ मशीनों के माध्यम से पराली को खेत के अंदर ही नष्ट किया जाएगा, जबकि बाकी बची हुई पराली को उठाकर नष्ट किया जाएगा। इसमें 2521 हैप्पी सीडर, 51,976 सुपर सीडर, 771 सतह सीडर, 22 स्मार्ट सीडर, 4557 आरएमबी हल और 15,289 जीरो टिल ड्रिल मशीनें शामिल हैं। इसके साथ ही सरकार का लक्ष्य है कि किसानों को पराली प्रबंधन के लिए एक हजार बेलर्स और रेक्स मशीनें भी उपलब्ध कराई जाएं।
नोडल अधिकारी करेंगे जागरूकता फैलाने का काम
गांवों में तैनात नोडल अधिकारी लोगों को जागरूक करेंगे कि वे पराली का सही प्रबंधन करें। साथ ही, अधिकारी किसानों को उचित मशीनरी उपलब्ध कराने में भी सहायता करेंगे। पराली जलाने के मामले में उचित कार्रवाई करना गृह विभाग का काम होगा, जिसके लिए पुलिस विभाग की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
सभी जिलों में डीसी द्वारा एक समिति गठित की जाएगी, जिसमें कृषि एवं किसान कल्याण, निगम, ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग, विद्युत विभाग, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी शामिल होंगे। इस समिति का काम हर पराली जलाने के मामले में कार्रवाई सुनिश्चित करना और उसके डेटा को भी संकलित करना होगा। पराली के रोकथाम और नियंत्रण से जुड़े पूरे कार्यक्रम को राज्य स्तरीय समन्वय, जिला स्तरीय समन्वय, उप-डिवीजन स्तरीय समन्वय, क्लस्टर अधिकारी और गांव के नोडल अधिकारी द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
पिछली बार मामलों में कमी, लेकिन पूरी राहत नहीं मिली
सरकार के प्रयासों के कारण पिछली बार पराली जलाने के मामलों में निश्चित रूप से कमी आई थी, लेकिन इससे पूरी तरह राहत नहीं मिली। पंजाब ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत के अन्य राज्य भी इसके जलने से उत्पन्न धुएं से परेशान हैं। किसान तर्क देते हैं कि उनके पास संसाधनों की कमी है। इसका विघटन उनके लिए लाभकारी नहीं है। उनके पास इसे जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
निष्कर्ष
पंजाब सरकार द्वारा पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए तैयार की गई यह योजना एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि यह योजना कितनी प्रभावी साबित होती है। सरकार के पास इस बार चुनौती अधिक है, लेकिन अगर योजना सही तरीके से लागू होती है, तो इससे न केवल पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। किसानों की जागरूकता और संसाधनों की उपलब्धता इस योजना की सफलता की कुंजी होगी।